स्पर्श कितना खूबसूरत नाम है तेरा प्रकृति जैसे अमावस की रात दो जोड़ी हंस जैसे पूस की शरद में अचानक खिला धूप जैसे ज्येठ के महीना में कोयल की कूंहूं जैसे बसंत में आम में लगी मांझर जैसे सावन की बारिश में भीगता युग्ल प्रेमी जैसे हल्की बारिश के तुरंत बाद नीले आसमान में खिलता इंद्रधनुष जैसे सांझ की लालिमा तले समंदर किनारे पानी में डूबोए दो प्रेमी के पांव जैसे मुट्ठी में रेत लिए भींचता यौवन जैसे रेत पर बनाता कोई हमदोनों की प्रेम गाथा की लकीरें जैसे मैं तेरे मन के कैनवास पे खिंचता कोई रहस्मयी स्पर्श
Posts
स्वार्थ और यतन
- Get link
- Other Apps
मैं कुछ नहीं सीख सका अब तक बिना स्वार्थ के आज तक तेरे बिना मुझे कौन ढो पायेगा मेरी मां जैसे पत्तियां सूखने के बाद भी पेड़ उसे बिना स्वार्थ के ढोती रही है जमीन पर गिरने तलक जैसे ममता के आग़ोश में खिलता रहेगा हमेशा बुढ़ापे तक पनपती हुई मेरी बचपना जैसे खोल देती है खनकती पायल किसी कोठे पर कोई तवायफ नाचने के तुरंत बाद है पता उसे कि नृत्य के बाद थके शरीर से बिना इच्छा के खेलना पड़ेगा किसी मर्द के साथ अठखेलियां और ये चलता रहेगा आकर्षण के आख़िरी तक कौन यहां बच पाया है इस रंग मंच के रंग से हर रंग से रंगना होता है जैसे किसी तबले वादक की धुन पर स्वत: आती थिरकन कहती रही है आदि अनादि से समन्वय की खोज के पहले करनी पड़ी है अनगनित यतन Sun 30 Jun 9:03 pm
बचपन का जमाना
- Get link
- Other Apps
धड़कन तेज गति से जब दौड़ती है ना तो कुछ अजीब सा नर्वसनेस पैदा करती है मुझे नहीं पता ये किस खुशी या गम की आहट में हो रही होती है जानने की कोशिश की थी एक दफ़ा पर जानते हुए भी उसकी आहट नहीं ढूँढ सका हूँ अबतक धड़कन /हर्ट बीट की तेज रफ्तार कुछ ऐसा ही महसूस करता है जैसे हर इतवार किसी जमाने में उस इलाक़े के एकलौता वीसीआर हाॅल के समीप पहुँचने पर पहले ही अंदाजा लगाना कि आज शायद फलाने हिरो का फिल्म लगी हो इस में मशगूल मेरा दिल की धड़कन जैसा सुखद नर्वसनेस अनुभव करती थी अब वैसी अनुभव तो होती है सदा पर बारीक सी कारण ढूँढ पाने में हमेशा असफल, असमर्थ और निराशा हाथ लगती है अब शायद खुश रहने के दायरे व्यापक हो चला है 6:55 PM 18 Feb
नसीब
- Get link
- Other Apps
भावनाओं का क्या है बस यही कि आज, कल से ज्यादा गहरी हो चुकी है। हां जिंदा है भावनाएं बस मुझे जिंदा लाश बनाकर, उनके आस में स्वीकार को, ईग्नोर कर मुझे तड़पा कर, ये बताने को कि ये प्रेम, प्यार, इश्क और मोहब्बत तेरे बस कि नहीं। पर दिल को मनाकर मैं माना, कि मुझे शायद प्यार करना आया ही नहीं। मेरे इजहार करने का तरीका शायद रास नहीं आया उन्हें । हो सकता है ज्योति शास्त्र भी कहे इस नास्तिक को नहीं हैं नसीब प्रेम इन हाथ के लकीरों में। बावजूद इसके कि आज कल से ज्यादा मेरा प्रेम उनके प्रति अपने नज़र में कई गुणा बढ़ता ही जा रहा; शायद उसे इसकी ख़बर तक ना हो । पर अब कोई फर्क नहीं पड़ता। -सृजन सन्नी
नियति
- Get link
- Other Apps
हंसने के लिए भी मीम या चुटकुले में दिमाग की बत्ती घुमानी पड़ती है। देख तेरे नीयत से किसी की नियति तैयार नहीं होती। रहनुमा ग़र हो तेरे फेवर में राह चलते हादसे भी यूं चमत्कारी टर्न ले लिया करती है। जड़ से तना तना से शाखा शाखा में तैयार पत्तियां वक्त आने पर यूं टूटकर बिखर जाती है। चाहकर भी दोस्ती को बरकरार रखने की कोशिश किसी मुर्गे की पंख की भांति उसे खुला गगन तक नहीं ले जाती । अरे नहीं तो चलते रास्ते मिला कोई शख्स अनजान से शमशान तक साथ दे जाती है। तेरी बददुआ उनकी आस भरी उम्मीद किसी की बंदगी, सजदे में झुका सर मंदिर की घंटी माफ़िक टन से दिमाग को छू यूं फौरन निकल जाती है। सृजन सन्नी 8 May 2021 रात 12:09